कालकाजी मंदिर का इतिहास: श्रद्धा और आस्था की कहानी
दिल्ली का कालकाजी मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है। इस प्राचीन मंदिर का इतिहास बेहद पुराना है, माना जाता है कि इसकी स्थापना 3000 वर्षों से भी पहले हुई थी। हालांकि, वर्तमान मंदिर का निर्माण 1764 में हुआ था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब देवताओं को राक्षसों ने बहुत परेशान कर दिया। इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं को माता पार्वती की शरण में जाने का आदेश दिया। देवताओं ने माता पार्वती की आराधना की और ब्रह्मा जी ने भी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर इस स्थान पर दर्शन दिए और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
कहा जाता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर और पांडवों ने भी इस मंदिर में माता काली की पूजा-अर्चना की थी। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण ठोक ब्राह्मणों और ठोक जोगियों ने माता काली के निर्देशन में किया था।
कालकाजी मंदिर को ‘जयन्ती पीठ’ या ‘मनोकामना सिद्ध पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘मनोकामना’ का अर्थ है इच्छा और ‘सिद्ध’ का अर्थ है पूर्ण होना। इस प्रकार, यह एक ऐसा पवित्र मंदिर माना जाता है जहां माता काली की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- खुलने और बंद होने के दिन: साल में 365 दिन खुला रहता है।
- मंदिर का समय: पूरे दिन खुला रहता है, सुबह 4:00 बजे से रात 11:30 बजे तक, सिवाय:
- (दोपहर 11:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक भोग के लिए बंद)
- (दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक सफाई के लिए बंद)
- दर्शन के लिए आवश्यक समय: सप्ताह के दिनों में 30 मिनट और सप्ताहांत में 1 से 2 घंटे।
- प्रवेश शुल्क या टिकट शुल्क: कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: पूरे वर्ष (जनवरी से दिसंबर)।
- मंदिर का स्थान: कालकाजी, नेहरू प्लेस के पास (दक्षिण दिल्ली)।